नोएडा-लखनऊ के बाद अब कानपुर और वाराणसी में कमिश्नरेट सिस्टम लागू करने की तैयारी में योगी सरकार

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लखनऊ : योगी आदित्यनाथ की सरकार उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था सुधारने के प्रयास में लगी हुई है। इसके लिए सरकार एक के बाद एक बड़े फैसले ले रही है। इसी कड़ी में अब कानपुर और वाराणसी में कमिश्नरेट सिस्टम लागू करने की तैयारी चल रही है। साल 2020 में नोएडा व लखनऊ में यह प्रणाली लागू की गई थी। यूपी पुलिस के अधिकारी के अनुसार शासन स्तर पर इसकी तैयाकी काफी तेजी से चल रही है। किसी प्रमोट हुए किसी तेजतर्रार अफसर को कमिश्नरेट की जिम्मेदारी मिल सकती है। बता दें कि लगभग एक साल पहले लखनऊ को पांच जोन में बांटकर एसपी स्तर के अधिकारी के कमान सौंपी गई थी। वहीं इस दौरान नोएडा को तीन जोन में बांटा गया था। अब इन दोनों शहों में कमिश्नरी प्रणाली की सफलता को देखते हुए सूबे में इसके विस्तार की कवायद की जा रही है। दोनों ही शहरों में अपराध में कमी आई है। ऐसे में कोई बड़ी अड़चन नहीं आई तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसद क्षेत्र वाराणसी और कानपुर में यह व्यवस्था जल्द लागू कर दी जाएगी।

आइए विस्तार से जानते हैं क्या कमिश्नर प्रणाली

कमिश्नर प्रणाली में तमाम प्रशासनिक अधिकार पुलिस विभाग को मिल जाते हैं। वहीं, समान्य पुलिसिंग व्यवस्था में जिलाधिकारी (DM) के पास पुलिस को नियंत्रण करने का अधिकार होता है। एसएसपी को किसी भा पुलिस अधिकारी या कर्मचारी के तबादला करने के लिए डीएम से मंजूरी लेनी पड़ती है। क्षेत्र में धारा 141 या कर्फ्यू लगाने का अधिकार भी प्रशासनिक अधिकारियों के पास होता है। दंगे जैसी स्थिति में पुलिस को लाठी चार्ज या फायरिंग के लिए भी प्रशासनिक अधिकारियों से अनुमति लेनी होती है। शांति भंग जैसी धाराओं में आरोपी को जेल भेजने या जमानत देने का फैसला प्रशासनिक अधिकारी करते हैं। मालूम हो कि जिलाधिकारी को दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) के तहत कानून-व्यवस्था बरकरार रखने के लिए अधिकार मिलते हैं। आमतौर पर जिलाधिकारी अन्य प्रशासनिक अधिकारियों (PCS)को ये अधिकार प्रदान करता है। वहीं कमिश्नर प्रणाली में ये सारे अधिकार पुलिस अधिकारी को मिल जाते हैं। इससे पुलिस तुरंत कार्रवाई करने में सक्षम होती है। इसके चलते कानून व्यवस्था बेहतर होती है।

कमिश्नर प्रणाली में क्या होती है रैंक

कमिश्नर प्रणाली में अपर पुलिस महानिदेशक (ADG) रैंक के अधिकारी को पुलिस कमिश्नर (CP)बनाया जाता है। इनके अंडर में पुलिस महानिरीक्षक (IG) रैंक के अधिकारी होते हैं। इनको ज्वाइंट सीपी (Joint CP) कहा जाता है। फिर पुलिस उप महानिरीक्षक (DIG) होते हैं। इन्हें एडिशनल कमिश्नर ऑफ पुलिस (Additional CP) कहा जाता है।। इसके बाद वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक या पुलिस अधीक्षक (SSP/SP) रैंक के अधिकारी होते हैं। ये डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस (DCP) कहे जाते हैं। ये एक शहर या इलाके के प्रभारी होते हैं। इनके नीचे डीएसपी या एएसपी होते हैं। ये असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ पुलिस (ACP) कहे जाते हैं।

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Deputy Editor, BHARAT SPEAKS

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