हिमालय की तरह बुलंद हौसले वाले योगी एरोन से मिलिए, 27 साल से मुफ्त में कर रहे हैं प्लास्टिक सर्जरी

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yogi aeron
योगी एरोन (फाइल फोटो)

By : Arsh Verma

अक्सर आप किसी हीरो या हिरोइन के प्लास्टिक सर्जरी होने की खबरें सुनते रहते हैं। साथ में ये भी सुनते हैं कि प्लास्टिक सर्जरी में काफी खर्च आता है। इस वजह से आम लोग या आर्थिक रूप से कमजोर लोग प्लास्टिक सर्जरी करा नहीं पाते हैं। ऐसे में अगर कोई मुफ्त में प्लास्टिक सर्जरी करे तो ये कितना महान कार्य होगा। उत्तराखंड में मुफ्त में प्लास्टिक सर्जरी करने वाले 82 वर्षीय बुजुर्ग डॉ. योगी एरोन (Yogi Aeron) का आपने नाम जरूर सुना होगा।

इन्हें हाल में ही पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इन्होंने अपने जीवन के 27 साल से भी ज़्यादा लोगों का मुफ्त इलाज करने में निकाल दिया। ये अब तक 5000 से अधिक निःशुल्क प्लास्टिक सर्जरी कर चुके हैं और अभी भी 10 हजार लोग वेटिंग में हैं।

कौन है योगी एरोन, जानें इनकी सफलता और असफलता की कहानी

योगी एरोन का जन्म 1937 में UP के मुजफ्फरनगर में हुआ था। योगी एरोन ने 1967 में लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज से स्नातक किया। प्रिंस ऑफ वेल्स मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, पटना से वर्ष 1971 में प्लास्टिक सर्जरी में मास्टर्स डिग्री प्राप्त की। लेकिन इन सफलताओं के पीछे असफलता की कहानी भी है। मेडिकल प्रवेश परीक्षा में ये लगातार पांच बार फेल हुए थे। छठी बार में सफलता हाथ लगी। लेकिन फिर इन्होंने हार नहीं मानी और ऐसी मेहनत की फिर वर्ष 2020 में हासिल किया पद्मा श्री अवॉर्ड।

डॉ. योगी एरोन को 1973 में दून अस्पताल में नौकरी मिली। लेकिन उस दौरान प्लास्टिक सर्जरी कुछ खास प्रचलित नहीं थी जिस कारण से उन्हें खास काम नहीं मिला। 70 के दशक में तब प्लास्टिक सर्जरी के बारे में लोगों में जागरूकता नहीं थी। ऐसे में वह शुरुआती सालों में सिर्फ पोस्टमॉर्टम ड्यूटी ही किया करते थे। देहरादून में कुछ समय रहने के बाद वह अमेरिका चले गए। जहां उन्होंनें डॉ. मिलार्ड से प्लास्टिक सर्जरी की बारीकियां सीखीं।

1984 में दून वापस आने के बाद मालसी में अपनी खुद की संपत्ति से अस्पताल बनाया, लेकिन जंगल से घिरे क्षेत्र में कम मरीज आते थे। बाद में दून की आईटी रोड पर एक छोटा अस्पताल बनाया जिसमे सिर्फ दस बेड ही थे । जहां वह गरीबों के जले और कटे मानव अंगों की फ्री प्लास्टिक सर्जरी करते हैं। डॉ. योगी कहते हैं कि इस उम्र में उन्हें धन-दौलत की नहीं, बल्कि आत्मिक शांति और सुकून की जरूरत है। लोगों की मुस्कान और दुआ के रूप में यह शांति भरपूर मिल रही है। उनका कहना है कि वह अब तक जो भी कर रहे हैं, अब उससे भी बेहतर करना है।

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