यूपी में मोहल्ला पाठशाला का अनोखा प्रयास, गरीब बच्चे भी पढ़कर अब बनेंगे अफसर, जानें कैसे खुश हैं लोग

स्कूल एक मंदिर है। मंदिर हर जगह है। हर घर में है। तो फिर शिक्षा क्यों नहीं? लेकिन यूपी सरकार के मोहल्ला पाठशाला जैसे अनोखे प्रयास से अब घर-घर शिक्षा का मंदिर शुरू हुआ है। जानिए पूरा मामला :

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य़ूपी के आजमगढ़ के शाहगढ़ में मोहल्ला पाठशाल में पढ़ाई करते बच्चे

लखनऊ/आजमगढ़ : उत्तर प्रदेश ऐसा पहला राज्य बना है जहां मोहल्लावार शिक्षा देने का अनूठा प्रयास शुरू हुआ है। दरअसल, कोरोना के कारण शुरू हुई ऑनलाइन पढ़ाई उन बच्चों तक नहीं पहुंच पा रही थी जिनके परिवार में स्मार्टफोन नहीं हैं। ऐसे में यूपी में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने उन एरिया में मोहल्ला पाठशाला शुरू करने का निर्देश दिया था। यूपी के आजमगढ़ जिले के कई एरिया में मोहल्ला पाठशाला शुरू करने से लोगों में काफी खुशी का माहौल है। स्थानीय लोगों ने कहा कि सरकार चाहे तो गरीब से गरीब परिवार के बच्चे भी शिक्षित होकर देश का नाम रोशन कर सकते हैं। इसलिए लोगों ने योगी सरकार की अनूठी पहल को काफी सराहा है।

इस गांव में ऐसे शुरू हुई मोहल्ला पाठशाला

आजमगढ़ के सठियांव खंड शिक्षा क्षेत्र के शाहगढ़ इंग्लिश मीडियम प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले ज्यादातर बच्चों के परिवार की आर्थिक हालत खराब है। लेकिन इन बच्चों के सपने बहुत बड़े हैं। ये बच्चे बड़े होकर सिविल सर्विसेज या डॉक्टर या इंजीनियर बनना चाहते हैं। हालांकि, घर में स्मार्टफोन नहीं होने के चलते ऑनलाइन क्लास नहीं कर पा रहे थे। दीक्षा मोबाइल ऐप से भी पढ़ाई नहीं हो पा रही थी। इस बारे में जानकारी मिलते ही यूपी सरकार के निर्देश पर अनूठी पहल शुरू की गई।

बच्चों को घर के पास किया एकत्र, वहीं आए टीचर

प्रशासन ने यहां के कई इलाकों में मोहल्ला पाठशाला का आयोजन शुरू कर दिया। इस तरह एक मोहल्ले में रहने वाले बच्चों को एक जगह एकत्र किया गया। इसके बाद बच्चों के बैठने की व्यवस्था कर स्कूल टीचर वहीं जाकर पढ़ाने लगे। इस बारे में स्कूल की प्रभारी प्रिंसिपल सुषमा सिंह ने बताया कि इस प्रयास से बच्चों और उनके परिवार वाले काफी खुश हैं। ये हमारे लिए भी बहुत सुखद अनुभव है क्योंकि बच्चों को उनके घर के आसपास ही पढ़ा रहे हैं।

कोरोना में लगा बच्चे पढ़ाई भूल जाएंगे, लेकिन सरकार के प्रयास ने दिलाई खुशी 

मोहल्ला पाठशाला में बच्चे के पिता सुरेश ने बताया कि कोरोना लॉकडाउन के समय स्कूल बंद हो गए थे। इसके बाद स्कूल खुले तो ऑनलाइन पढ़ाई शुरू हुई। लेकिन हमारे पास फोन नहीं था। इसलिए एक या दो बार तो किसी से फोन लेकर क्लास कराया। लेकिन रोज-रोज फोन नहीं मांग सकते थे। इसलिए क्लास रोकनी पड़ी। बच्चे को इंग्लिश मीडियम से पढ़ा रहे थे इसलिए बहुत चिंता हो रही थी। इस बारे में कई गरीब बच्चों के परिजनों ने मिलकर जानकारी दी। इसके बाद जो हुआ वो लगा जैसे भगवान ने ही हमलोगों की फरियाद सुन ली। अब तो टीचर हमारे मोहल्ले में आकर ही पढ़ा रहे हैं। इसलिए यकीन है कि हम भले ज्यादा पढ़-लिख नहीं पाए लेकिन हमारे बच्चों के साथ ऐसा नहीं होगा। वो भी एक दिन अधिकारी बनेंगे।

 

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Deputy Editor, BHARAT SPEAKS

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