हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (HURL) के खाद कारखाना में बनी नीम कोटेड यूरिया से खेतों में हरियाली आएगी और किसानों की खुशहाली बढ़ेगी। इससे भारत सरकार को भी काफी फायदा होगा। इससे सरकार को हर वर्ष तकरीबन 47 अरब रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत होगी। यूरिया ले आने का खर्च अलग से बचेगा। खाद कारखाना में ‘अपना यूरिया सोना उगले’ नाम से रोजाना 3850 टन नीम कोटेड यूरिया का उत्पादन होगा। यानी हर साल खाद कारखाना में 12.7 लाख टन यूरिया तैयार होगी।
प्रति किलोग्राम 5.92 रुपये की दर से यूरिया मिलेगी
यूरिया बनाने में एचयूआरएल प्रति किलोग्राम 28 रुपये खर्च करेगा। एचयूआरएल किसानों को 266.50 रुपये प्रति बोरी (एक बोरी में 45 किलोग्राम) की दर से यूरिया देगा। यानी किसान को प्रति किलोग्राम 5.92 रुपये की दर से यूरिया मिलेगी। विदेश से नीम कोटेड यूरिया इस समय तकरीबन 65 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से खरीदी जा रही है।
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भारत सरकार को 37 रुपये प्रति किलोग्राम की बचत
यूरिया को जिलों में पहुंचाने का खर्च अलग से लगता है। यदि विदेश से आने वाली यूरिया की कीमत से यहां तैयार यूरिया की कीमत घटाई जाए, तो भारत सरकार को 37 रुपये प्रति किलोग्राम की बचत होगी। यानी साल में 47 अरब रुपये की भारत सरकार को बचत होगी।
एचयूआरएल को सब्सिडी देगी सरकार
खाद कारखाना में 28 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से तैयार नीम कोटेड यूरिया किसानों को 5.92 रुपये में मिलेगी। यानी भारत सरकार एचयूआरएल को 12.7 लाख टन के हिसाब से हर साल सब्सिडी के रूप में 28 अरब रुपये से ज्यादा देगी। कारखाना के अफसरों का मानना है कि जैसे-जैसे एचयूआरएल का ऋण कम होगा, नीम कोटेड यूरिया की निर्माण लागत भी कम होती जाएगी। इससे सरकार को सब्सिडी भी कम देनी पड़ेगी।यहां भी जाएगी गोरखपुर की यूरियागोरखपुर के खाद कारखाना में तैयार यूरिया की आपूर्ति अन्य राज्यों में भी होगी। इनमें ओडिशा, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, पंजाब, झारखंड और बिहार मुख्य हैं।